भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास  – यह एक संकुचित विचार है जो वस्तु या सेवा के उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि से जुढ़ा है, इसी को हम GDP की वृद्धि कहते है ।

                                                      Investment ( निवेश )
                  Economic Growth =  —————————- 
                                                      ICOR ( Incremental Capital Output Ratio )
 
  • ये निवेश ( Investment ) घरेलु तथा विदेशी दोनों हो सकता है, घरेलु निवेश की संभावनाएं हमारे यहाँ कम है, क्यूंकि हमारा व्यय (Expenditure) आय ( Income ) से ज्यादा है
  • बचत = आय – व्यय ( जब बचत नकारात्मक Negative है तो निवेश नहीं हो पायेगा 
  • भारत में घरेलु बचत प्रभावी नहीं है इसलिए घरेलु निवेश भी प्रभावी नहीं है । ऐसे में उत्पादन बढाने के लिए विदेशी निवेश पर निर्भर रहना पढता है ।
  • विदेशी निवेश 2 प्रकार के होते है (i) FDI  (ii) FII – Foreign Institutional Investment  ( विदेशी संस्थागत निवेश ) ये (-) है।
 
FDI – Foreign Direct Investment  ( विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ) – ये (+) है। जहाँ विदेशो से आया पैसा उत्पादक ईकाईयों की स्थापना में लगता है, इस उत्पादक ईकाई से विदेशी कम्पनी को लाभ मिलता है और देश को वृद्धि दर या उत्पादन ( Growth Rate / Production ) मिलता है ।
FII – Foreign Institutional Investment  ( विदेशी संस्थागत निवेश ) – ये (-) है। जहाँ विदेशी निवेशक पूंजी बाजार में कम्पनी के अंशों ( Shares ) में पैसा लगाते है और लाभ की जगह  पैसे से पैसा कमाते है ।
FII का पैसा उत्पादन में नहीं लगता तथा इससे देश को कोई बड़ा फायदा नहीं होता बल्कि कोई निवेशक ज्यादा कमाकर कम्पनी का लाभ बाहर ( विदेश ) ले जायेंगे तो देश में पूंजी पलायन ( देश का पैसा बाहर ) की समस्या उत्पन्न होती है ।
इसलिए विदेशी निवेश के रूप में FDI ज्यादा होना चाहिए, तथा FDI को FII से बेहतर माना गया है, लेकिन भारत में उल्टा है यहाँ FII ज्यादा है और FDI कम है ।

भारत में विदेशी निवेश (Foreign investment in India)

भारत में FDI के अवसर नहीं है तथा निम्नलिखित परिस्थितियां नहीं है — 
 
1कानून एवं व्यवस्था ( law and order ) की समस्या  2. भ्रष्टाचार की समस्या
3. लाल फीताशाही  4. पर्यावरण की समस्या
उपरोक्त समस्याओं के कारण ही भारत में FDI कम है ।
भारत में FDI बढ़ाने के लिए FIPB -Foreign Investment Promotion Board ( विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड ) बनाया गया है तथा विदेशी निवेश सम्बन्धी एकल खिड़की प्रणाली लायी गयी है।
विदेशी निवेशों को आकर्षित करने के लिए सम्मेलन बुलाई जाति है और विदेश की यात्राएं की जाती है ।

Indian Economic Growth & Development

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास

आर्थिक संवृद्धि या  वृद्धि – Economic Growth

                                                      Investment ( निवेश )
                  Economic Growth =  —————————- 
                                                      ICOR ( Incremental Capital Output Ratio )
 
  • आसान भाषा में कह सकते है की ” उत्पादन लागत ” Production Cost । 1 Unit Production बढ़ाने में कितने Unit निवेश की जरुरत पड़ती है उसे ICOR कहते है ।
         उदाहरण : स्वतंत्रता के समय यह 1:5 था । 1990 आते आते यह 1:4 हो गया 2018 में यह 1:4:8 था ।
  • इससे दीखता है की भारत में ICOR कम तो हुआ है पर उतना नहीं जितना होना चाहिए था या अपेक्षित था ।
  • ICOR कम ना होने का कारण है  Poor Physical Infrastructure जिसके कारण सामान लाने व ले जाने में इतना ज्यादा निवेश हो जाता है जो नहीं होना चाहिए ।
  • उच्च कर ( High Tax ) की वजह से भी यह कम नहीं हो पाया ।
  • ICOR का ज्यादा होना हमारी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर ( Growth Rate ) के लिए हानिकारक है ।
  • आर्थिक संवृधि या वृद्धि  (Growth) का मापन राष्ट्रीय आय या प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर किया जाता है।
  • यदि भारत में  संवृधि या वृद्धि दर ( Growth Rate ) को बढ़ाना है तो हमें –
            निवेश – GDP अनुपात को बढ़ाना होगा ।
            ICOR को निचे लाना होगा ।

आर्थिक विकास  – Economic Development

  • आर्थिक विकास, आर्थिक संवृद्धि की तुलना में व्यापक विचार है क्यूंकि आर्थिक संवृद्धि PCI (Per Capita Income) से जुडती है लेकिन आर्थिक विकास ( Economic Development ) बहुआयामी ( Multidimensional ) होता है ।
  • आय ( Income ) के साथ साथ आर्थिक विकास बहुआयामी ( आय+शिक्षा+स्वास्थ्य+पोषण (सामजिक) + लोकतंत्र+राजनीति+प्रशासनिक ) होता है ।
  • आर्थिक संवृद्धि = पैसा और आर्थिक विकास = पैसों का समान वितरण ।

आर्थिक विकास का मापन  – Measurement of Economic Development

  • किसी अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास को मापने के लिए कई तरीके खोजे गए है जिसमें सबसे प्रचलित है –
            1. HDI ( Human Development Index ) मानव विकास सूचकांक
            2. GHI ( Gross Happiness Index ) सकल खुशहाल सूचकांक

HDI ( Human Development Index ) मानव विकास सूचकांक

  • इसका निर्माण 1990 में UNDP ( United Nation Development Program ) में “महबूब-उल-हक़” ने किया था ।
  • इसका आधार – प्रतिव्यक्ति आय, साक्षरता एवं जीवन प्रत्याशा ( उम्र स्वास्थ्य) था ।
                    Maximum Value – Minimum Value                                    0 = Min. Development
Formula =   ——————————————-           Goal Post        1 = Max. Development
                                   Country Value
  • UNDP द्वारा प्रतिवर्ष मानव विकास सूचकांक जारी किया जाता है , जिसमें देशों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है ।
            1. निम्न विकास ( Min. Development )     = 0 – 0.4999
            2. मध्यम विकास ( Med. Development ) =  0.5 – 0.7999
            3. उच्च विकास ( Max. Development ) =  0.8 & above
  • पिछले वर्ष ( 2018) में मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट में भारत का स्थान 131 वां था ।
  • UNDP की तरह भारत सरकार भी अब राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट जारी करती है, यह रिपोर्ट NCAER ( National Counsil of Applied Economic Research ) के द्वारा जारी की जाती है ।
  • 2001 में इसे पहली बार जारी किया गया था ।
  • राज्य भी मानव विकास रिपोर्ट जारी करता है, पहला राज्य मध्यप्रदेश था ।
  • राष्ट्रीय मानव विकास  की अंतिम  रिपोर्ट पिछले बार 2011 में आई थी, जिसका शीर्षक “सामाजिक समावेशन की ओर” था, इसमें 23 राज्यों को जांचा गया और जिसमें प्रथम स्थान में “केरल” था और छत्तीसगढ़ 23वें स्थान पर था 

GHI ( Gross Happiness Index ) सकल खुशहाल सूचकांक

  • इसका विकास 1972 में भूटान ने किया था ।
  • 1972 में भूटान ने खुशहाली सूचकांक का विचार दिया, इनका कहना था की मानव विकास को मापने के लिए HDI के साथ साथ कुछ और आधार भी होना चाहिए –
            1. प्रशासन आपके प्रति जिम्मेदार हो – सुशासन ( Good Government )
            2. लोकतंत्र – निरंतर शिक्षा
            3. स्वच्छ पर्यावरण
            4. सांस्कृतिक सुरक्षा संवर्धन होना चाहिए
            5. अध्यात्म व संतोष का भाव होना चाहिए
  • 1972 से 2011 तक भूटान कहता रहा और दुनियां हंसती रही । इस सूचकांक को मानने के लिए 40 वर्ष लग गए, अंततः United Nation ने इसे 2011 में स्वीकार किया ।
  • मानव विकास को मापने के लिए HDI के साथ साथ GHI का भी उपयोग करना चाहिए और HDR की तरह WHR भी जारी होना चाहिए ।
  • United Nation ने ऐसी पहली रिपोर्ट Sep. 2011 में पेश की तथा पिछली जारी रिपोर्ट 2013 तथा 2017 की  है ।
उपरोक्त दोनों सूचकांक के द्वारा अलग अलग संस्थाओं द्वार समय समय पर सूचकांकों को जारी किया जाता है जिसके माध्यम से हम इन सूचकांक रिपोर्ट को जान पाते है ।
Indian Economic Growth Development

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