उत्कल (ओड़िसा) के पर्वत द्वारक और सोम वंश

उत्कल (ओड़िसा) के  पर्वत द्वारक और सोम वंश: इसके पहले भाग में हमने छत्तीसगढ़ के राजर्षितुल्य वंश एवं नल वंश  के बारे में पढ़ा । जिसमें राजर्षितुल्य एवं नल वंश  की जानकारी प्राप्त की, इसी को आगे बढ़ाते हुए हम आज यहाँ छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रीय राजवंश के बारे में पढेंगे ।

उत्कल (ओड़िसा) के  पर्वत द्वारक और सोम वंश Chhattisgarh History

पर्वत द्वारक वंश – Parwat Dwarak Vansh

शासन क्षेत्र – देवभोग ( गरियाबंद )
जानकारी स्रोत – राजा तुष्टिकार के ताम्रपत्र अभिलेख से इस वंश की जानकारी प्राप्त होती है ।
उपासना – इस वंश के शासक दंतेश्वरी देवी के उपासक थे ।
प्रमुख शासक – सोमलराज एवं तुष्टिकार

सोम वंश ( उत्कल-ओडिशा ) – Soma Vansh ( Utkal-Odisha )

राजधानी – सिरपुर ( 9-11 वीं शताब्दी )
उपासना – इस वंश के आराध्य चन्द्र देव ( सोम ) थे, इस कारण इस वंश का नाम सोम वंश पड़ा ।
संस्थापक – राजा शिवनंदी/शिवगुप्त जिन्होनें कोसल के पूर्वी क्षेत्र ओडिशा का पश्चिमी क्षेत्र तथा आँध्रप्रदेश के उत्तरी क्षेत्र को जीतकर त्रिकलिंगाधिपति की उपाधि शरण की ।
अन्य उपाधि – अन्य उपाधियों में धरम वैष्णव, कौशेन्द्र एवं महापरम भट्टारक की उपाधि रखी ।
मुद्रा – इनकी मुद्रा में गज लक्ष्मी के चित्र प्राप्त हुए है ।

प्रमुख शासक

1. शिवगुप्त /शिवनंदी – इनके शासनकाल में कलचुरी शासक “मुगंधतुंग” कोसल पर आक्रमण करके शिवगुप्त से पाली को छीन लिया था ।
2. जन्मेजय (महाभवगुप्त II) – इनका नाम धर्मकन्दप था ।
3. महाभवगुप्त भीम रथ – इनके सम्बन्ध में जानकारी कटक उड़ीसा से होती है। भीमरथ के पुत्र धर्मराज/धर्मरथ एवं इन्द्र्रथ तथा इनके भाई का नाम नहुष था ।
4. धर्मरथ (महाशिवगुप्त II) –  इन्होने आँध्रप्रदेश एवं बंगाल के कुछ क्षेत्रों को जीता था ।
5. नहुष  (महाभवगुप्त III) – 
6. इन्द्ररथ  (महाशिवगुप्त III) –  इसके शासनकाल में परमार वंश के राजा – राजा भोज , एवं चोल वंश के राजा गजेन्द्र ने मिलकर इन्द्ररथ की हत्या की ।
7. शिवगुप्त II ( महाशिवगुप्त – चंडीहर ) –  इन्होंने कोसल एवं उत्कल प्रदेशों को शत्रुओं को मुक्त किया ।
8.  महाभवगुप्त IV ( उद्योग केसरी  ) –  ये इस वंश के अंतिम शासक थे , जिन्होनें डाहल, ओड्र, गौड़ान एवं रोशों पर विजय प्राप्त किया ।
संभवतः इनका युद्ध कलचुरियों के साथ हुआ जिसमें इन्हें पराजय मिली और कोसल क्षेत्र से “सोम वंश” की सत्ता समाप्त हो गई ।
इसके साथ ही अनंत वर्मन ने जोड्गंग से उड़ीसा का क्षेत्र छीन लिया , इस प्रकार सोम वंशीय शासकों का पतन हुआ ।

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