आर्थिक गतिविधि इकाइयाँ और आर्थिक स्वामित्व

Economic Activity Units and Economic Ownership – आर्थिक गतिविधि इकाइयाँ और आर्थिक स्वामित्व – इसके पहले हमने पढ़ा की ” क्षेत्रक के आधार पर ” अर्थव्यवस्था जिसमें हमने आर्थिक गतिविधि – प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक अर्थव्यवस्था के बारे में जाना।
आज हम ” क्षेत्रक के आधार पर  ” में   आर्थिक ईकाइयां, आर्थिक स्वामित्व ( सार्वजनिक क्षेत्र , निजी क्षेत्र ) तथा कम्पनी ( प्राइवेट लिमिटेड तथा पब्लिक लिमिटेड ) के बारे में पढेंगे ।

आर्थिक गतिविधियाँ -Economic Activity
1. प्राथमिक अर्थव्यवस्था 2. द्वितीयक अर्थव्यवस्था 3. तृतीयक अर्थव्यवस्था – पिछले अध्याय में हमने पढ़ लिया है , समझने के लिए पिछला अध्याय देखे ।

आर्थिक ईकाइयाँ -Economic Units

1. संगठित क्षेत्र Organized Sector

संगठित क्षेत्र की ईकाइयां में  वह ईकाई होती है जहाँ सभी आर्थिक ईकाईयों का पंजीकरण ( Registration ) सरकारी संस्था में  किया जा चूका हो ।

2. असंगठित क्षेत्र Unorganized Sector

असंगठित क्षेत्र की ईकाइयां में  वह ईकाई होती है जहाँ किसी आर्थिक ईकाईयों का पंजीकरण ( Registration ) सरकारी संस्था में  नहीं हुआ हो ।
भारत में 80% असंगठित क्षेत्र है, कृषि इसी के अंतर्गत आता है ।

 आर्थिक गतिविधि इकाइयाँ और आर्थिक स्वामित्व

 

आर्थिक स्वामित्व -Economic Ownership

आर्थिक कार्य को करने या आर्थिक गतिविधि हेतु निवेश ( Investment ) किसने किया है । इसे 2 भागों में विभाजित किया गया है ।

1. सार्वजनिक क्षेत्र – Public Sector

सार्वजनिक क्षेत्र वह क्षेत्र कहलाते है जहाँ सरकार ( Government ) द्वारा 50%-100% निवेश किया जाता है । सरकारी उपक्रम, सरकारी निगम तथा सरकारी कम्पनी ये सार्वजनिक क्षेत्र के रूप है ।
सरकारी उपक्रम का अर्थ उससे है जो सरकार के द्वारा कार्य करते है जैसे :- रेलवे , डाक विभाग, संचार आदि विभाग ।

2. निजी क्षेत्र – Private Sector

निजी क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जहाँ 20% निवेश निजी होता है ।
  1. जब संसद के कानून द्वारा नियम बनाया जाये तो वह निगम कहलाता है ।
  2. कम्पनी (Company) वो है जो भारतीय कंपनी अधिनियम (Indian Company Act) के तहत अपना पंजीयन कराएगी ।
  3. निगम से कम्पनी की ओर जाने के 3 कारण थे – स्वायत्ता (autonomy), बदलने में आसानी ( Easy to Change), निवेश बचाना ( Save Investment )।
  4. यही कारण है की स्वतंत्रता के बाद बहुत सारे निगम बनाये गए किन्तु 1990 के बाद हम निगम से कम्पनी की ओर गए ।
  5. Air India से लेकर State Bank सब पहले निगम थे पर अब कम्पनी बन गई है ।
  6. इस समय भारत में निजी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि Company के द्वारा की जाति है, इसमें पंजीयन करना अनिवार्य है ।
  7. सरकार अपनी आर्थिक गतिविधियों को सार्वजानिक क्षेत्रों की ईकाईयों द्वारा पूरी करती है, इसके 3 रूप है ।
  • a) सरकारी उपक्रम – जो आर्थिक कार्य करने वाले सरकारी विभाग है – रेलवे, डाकतार – संचार
  • b) सरकारी या लोक निगम – ये 100% सरकारी अंशधारिता (Share Holder) से बनते है और इन्हें बनाने के लिए कानून पारित करना पड़ता है ।
  • ये केंद्र की संसद कानून पारित करे तो केन्द्रीय निगम और राज्य सरकार पारित करे तो राज्य निगम होते है जैसे :- ITDC ( Indian Tourism Development Corporation ) RTDC, CCI, RTC.
  • c) सरकारी कम्पनी – सरकारी कम्पनियां वो है जहाँ 100% अंश की आवश्यकता नहीं होती अपितु 50%-100% तक सरकारी निवेश कम्पनी बनाने के लिए पंजीकरण होती है ।

कम्पनी Company

1. Public Ltd. 2.Private Ltd.
 
Public Ltd. एवं Private Ltd. दोनों सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के लिए हो सकता है ।
Public Ltd में अंशधारी ( Share Holder ) 7 से अधिक या असीमित होते है ।
Private Ltd में अंशधारी ( Share Holder ) 2 से 50 सीमित होते है ।
दोनों क्षेत्र की कम्पनी स्वामित्व से जुडी हुई होती है ।
इनका निर्धारण अंशधारियों से होता है और दोनों एक दुसरे में परिवर्तित हो सकती है ।
Private Ltd की कम्पनी को बाजार से अंश (Share) जुटाने होते है ।
यहाँ LTD  शब्द से तात्पर्य सिमित दायित्व  Limited Liability से है ।
यहाँ LTD  शब्द का अर्थ है की कम्पनी के अंशधारियों का दायित्व ( लगाये गए पैसे ) से है, जिसका अर्थ है की अगर कम्पनी डूबती भी है तो अंशधारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी ।

Leave a Comment