सिक्ख, वायकोम, गुरुवायुर सत्याग्रह व अन्य आन्दोलन

मुस्लिम सुधार आन्दोलन के अलावा पारसियों, सिक्खों एवं अन्य आन्दोलन हुए, तथा सामजिक सुधार हेतु अन्य कदम उठाये गए ।

पारसी आन्दोलन

रहनुमाई माजदयासन सभा  1851  

संस्थापक – दादाभाई नैरोजी , S.S. बंगाली , फर्दौन जी , आर. के. कामा , जी.बी. वाचा ।
विशेष  – येदादाभाई नैरोजी ने “रांस्तगुफ्तार” नामक पत्रिका का प्रकाशन किया ।

सिक्ख आन्दोलन  

कुका आन्दोलन  1840-72  

 
नेतृत्त्व  – भगत जवाहर मल व उनके शिष्य बालक सिंह।
स्थान  – पंजाब
बालक सिंह के मृत्यु के पश्चात् रामसिंह ने नेतृत्त्व प्रदान किया । रामसिंह पहले भारतीय नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार का उपयोग राजनितिक हथियार के रूप में किया । इन्होने ही “नामधारी” आन्दोलन चलाया था, जिसमें मद्यपान निषेध, गो मांस निषेध, वृक्ष पूजा तथा महिलाओं के समानता पर बल दिया ।

निरंकारी आन्दोलन  

 
संस्थापक  – बाबा दयाल दास

अकाली आन्दोलन  1920-21  

उद्देश्य  – सिक्ख गुरुद्वारों को उसके भ्रष्ट महंतो से मुक्त कराना।
विशेष  – यह एक सकल आन्दोलन था, इस आन्दोलन के परिणाम स्वरुप 1922 में सिक्ख गुरुद्वारा नियम पारित किया गया, जिसमें 1925 में कुछ संशोधन भी किया गया ।
 

निम्नजातीय आन्दोलन  – सत्यशोधन समाज

 
स्थापना  – 1873
स्थान – बम्बई
संस्थापक – ज्योतिबा फुले 
विशेष – ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित सत्यशोधक समाज ब्राह्मण वर्चस्व व उच्च जातियों द्वारा समाज के निम्न जातियों के बौद्धिक व सामाजिक शोषण के विरुद्ध एक आन्दोलन बनके उभरा । यह प्रथम भारतीय संगठन था जिसमें अश्पृश्य वर्ग के लिए स्कुल खुलवाये ।
रचना – गुलामगिरी , कैफियत तथा Who /where the Shudras ( CGPSC Exam Important )
पत्रिका / मैगजीन – सतसार

आत्मसम्मान आन्दोलन  ( Self Respect Movement )

आरम्भ  – 1920
आरंभकर्ता – पेरियार उर्फ़ E. V. रामास्वामी नायकर

वायकोम आन्दोलन  ( 1924-25 )

स्थान  – केरल के त्रावनकोर के वायकोम ग्राम 
कारण – मंदिरों में प्रवेश तथा सडको पर चलने के अधिकार से वंचित करना।
जाति – एझवा जाति
विशेष – यह एक गांधीवादी आन्दोलन था । योगम संगठन ने श्री नारायण गुरु के नेतृत्त्व में निम्न वर्ग के मंदिर प्रवेश का समर्थन किया
1925 में गांधीजी के मध्यस्थता में त्रावनकोर के महारानी से मंदिर प्रवेश के बारे में आन्दोलनकारियों का समझौता हुआ ।

गुरुवायुर सत्याग्रह  ( 1931-32 )

 
स्थान  – केरल 
कारण – मंदिरों में प्रवेश को लेकर।
नेतृत्त्व  – के. कल्लेप्पन कृष्ण पिल्लई और ए. के. गोपालन

सिक्ख, वायकोम, गुरुवायुर सत्याग्रह व अन्य आन्दोलन

अन्य आन्दोलन

राधास्वामी सत्संग 

 
स्थापना   – 1861
स्थान – आगरा।
संस्थापक  – शिवदयाल सिंह ( तुलसीराम )

वेदसमाज 

 
स्थापना   – 1864
स्थान – मद्रास।
संस्थापक  – केशवचंद्र सेन और के. के. श्रीधारालू नायडू

देवसमाज 

 
स्थापना   – 1887
स्थान – लाहौर।
संस्थापक  – शिव नारायण अग्निहोत्री

भारत धर्म महामंडल 

 
स्थापना   – 1902
स्थान – वाराणासी।
संस्थापक  – मदन मोहन मालवी
राजमुंदरी (आँध्रप्रदेश) सोशल र्फोर्म एसोसियेशन – 1878 – विरेशलिंगम पंतलु
समाजसेवा संघ – 1911 – नारायण मल्हार जोशी
प्रजा मित्र मंडल – 1905-06 – सी.आर. रेड्डी
यंग बंगाल आन्दोलन – हेनरी व्ही.व्ही. एन. डेराजियो ( CGPSC Exam Important )
 
यह आन्दोलन बंगाल के मुख्य मुद्दे जैसे स्वतंत्रता, जमींदारों के अत्याचार से रैय्य्तो की सुरक्षा, सरकारी उच्च सेवाओं में भारतियों को रोजगार दिलाना आदि था ।
तारकेश्वर आन्दोलन – 1924 – बंगाल – मंदिरों में भ्रष्टाचारों के विरुद्ध ।

अन्य तथ्य

  • राधाकांत देव 1830 में बंगाल में धर्मसभा की स्थापना कर सामाजिक धार्मिक सुधारों का विरोध किया तथा रुढिवादिता का समर्थन किया ।
  • सर्वेन्ट्स ऑफ़ इण्डिया सोसायटी ( भारत सेवक मंडल ) की स्थापना पूना में गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी । एम. सी. शितलवाड, बी.एन.राव, अलादी कृष्णस्वामी अय्यर इनके अन्य सदस्य थे ।
  • भीमराव आंबेडकर ने 1920 में आल इण्डिया डिप्रेस्ड क्लास फेडरेशन की स्थापना की ।
  • 1924 में अम्बेडकर ने बम्बई में बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की तथ 1927 में “बहिष्कृत भारत” नामक पत्रिका निकाली।
  • भीमराव आंबेडकर ने अछूतों के सामाजिक समानता के लिए “समाज समता संघ” की स्थापना की ।
  • 1942 में भीमराव आंबेडकर ने अनुसूचित जाति परिसंघ की स्थापना की ।
  • भीमराव आंबेडकर महार जाति के थे उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था ।
  • 1931 में बी.आर. शिंदे ने “डिप्रेस्ड मिशन क्लासेस सोसायटी ऑफ़ इण्डिया” की स्थापना की ।
  • 1932 में महात्मा गांधी जी ने “अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ” की स्थापना की ।
  • अखिल भारतीय महिला सेवा संघ की स्थापना 1927 में हुई ।
  • थियोडोर बेक अलीगढ स्थित एंग्लो मोमेडन ओरिएण्टल कॉलेज के प्रथम प्राचार्य थे ।
  • ऐनी बेसेंट थेवियन आन्दोलन से जुडी हुई थी । यह आन्दोलन आयरलैंड में हुआ था ।
  • दीनबंधु सार्वजनिक सभा की स्थापना 1884 में ज्योतिबा फुले ने की थी ।
  • पश्चिम भारत में प्रथम समाज सुधारक गोपालहरी देशमुख थे, इन्हें लोकहितवादी कहा जाता था ।
  • 1849 में स्थापित परमहंस मण्डली ने पश्चिम भारत में सामाजिक धार्मिक सुधार आन्दोलन किया ।
  • प्रोफेसर कर्वे ने 1916 में बम्बई में भारत का प्रथम महिला विश्वविध्यालय “श्रीमती नाथिबाई दामोदर ठाकरसी विश्वविद्यालय” की स्थापना की ।
  • विष्णुशास्त्री पंडित ने महाराष्ट्र में विधवा विवाह उत्तेजक मंडल की स्थापना की ।

सामाजिक सुधार हेतु उठाये गए कदम

सती प्रथा

  • भारत में सती प्रथा का प्रथम उल्लेख 510 ई. में जारी भानुगुप्त के “ऐरण अभिलेख” में मिलता है।
  • सबसे पहले 15 वीं शताब्दी में कश्मीर के शासक सिकंदर ने इसे बंद करवाया था ।
  • राजा राम मोहन राय के प्रयासों के परिणामस्वरूप लार्ड विलियम बैंटिक ने 1829 में सतीप्रथा कानून बनाकर इस पर रोक लगा दी ।

दासप्रथा का अंत

  • गवर्नर जनरल लार्ड एलनबरा ने 1843 में दासप्रथा को प्रतिबंन्धित कर दिया था ।
  • मध्यकाल में अकबर व फिरोजशाह तुगलक ने भी दास व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाया था ।
  • 1833 के अधिनियम में भी दासप्रथा को समाप्त करने का निर्देश दिया गया था ।

शिशुवध प्रतिबंध

  • गवर्नर जनरल जॉनशोर के समय 1795 में तथा वेलेजली के समय 1802 में कानून बनाकर शिशु हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया गया ।

नरबली प्रथा

  • इस प्रथा को समाप्त करने का श्रेय होर्डिंग I को जाता है ।
  • नरबली प्रथा मुख्यतः “ओड़िसा के खोंड” जनजाति में प्रचलित थी ।
  • लगभग 1844 -45 तक ये प्रथा समाप्त हो चुकी थी ।

ठगी प्रथा

  • लार्ड विलियम बैंटिक ने ठगी प्रथा का उन्मूलन किया, इसके लिए उन्होंने “कर्नल स्लीमन” को नियुक्त किया था ।
  • 1837 तक ठगों का दमन कर दिया कर दिया गया था ।

विधवा पुनर्विवाह अधिनियम

  • विधवा पुनर्विवाह के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के प्राचार्य “ईश्वरचन्द्र विद्यासागर” ने दिया ।
  • 1856 में लार्ड डलहौजी के शासन काल में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ , जिसे कैनिंग के काल में लागू किया ।

बाल विवाह

1. Native Marriage Act या Civil Marriage Act (नागरिक विवाह अधिनियम ) – इस अधिनियम के द्वारा लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 14 वर्ष कर दिया गया तथा लडको की आयु 18 वर्ष कर दी गई ।
2. Age of Consent Act ( सम्मति आयु अधिनियम – 1891 ) – ये अधिनियम बम्बई के पारसी मालाबारी के प्रयत्न से पारित हुआ, जिसमें लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 12 वर्ष कर दिया गया ।
3. Sharda Act (शारदा एक्ट 1929-30 ) – अजमेर निवासी डॉ. हरविलास शारदा के प्रयासों से ये कानून बना, इस अधिनियम के द्वारा लड़कियों के विवाह की आयु 14 वर्ष व लडको की 18 वर्ष कर दी गई ।
स्वतंत्रता के बाद – भारत सरकार द्वारा 1978 में बाल विवाह निषेध कानून बनाया गया, जिसके तहत लड़के के विवाह की आयु 18 वर्ष से बढाकर 21 वर्ष एवं लड़कियों की आयु 18 वर्ष कर दी गई ।

Leave a Comment