आर्यों का आगमन – वैदिक संस्कृति

आर्यों का आगमन - वैदिक संस्कृति

सिन्धु सभ्यता के पतन के बाद जो नविन संस्कृति प्रकाश में आई उसके बारे में जानकारी वेदों से प्राप्त होती है । अतः इस काल को वैदिक काल कहा गया । वैदिक काल के निर्माता आर्य थे, आर्य शब्द का अर्थ है श्रेष्ठ, यह एक भाषाई विचार है ना कि जातिसूचक ।

सिंधुघाटी सभ्यता का पतन

सिंधुघाटी सभ्यता का पतन

सिन्धु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का पतन कैसे हुआ यह एक विवाद का विषय है,  भिन्न भिन्न विद्वानों ने इसके पतन के भिन्न भिन्न कारण बताये जो निम्न प्रकार से

सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन, शिल्प, मोहरें तथा लिपि

सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन, शिल्प, मोहरें तथा लिपि

सिन्धु सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी, इस सभ्यता के लोग आर्थिक दृष्टि से समृद्ध थे । इसका मुख्य कारण सिंचित कृषि, विकसित व्यापार एवं उद्योग था । 

भारत के साथ हुए युद्ध

Battles with India

Battles with India

हाईडेस्पीज का युद्ध (Battle of the Hydaspes) – समय : 326 ई.पू. 

किसके बीच – सिकंदर और पंजाब के राजा पोरस के बीच हुआ, जिसमे सिकंदर की विजय हुई।

कलिंग की लड़ाई (Kalinga War) – समय : 261 ई.पू. 

किसके बीच – सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। युद्ध के रक्तपात को देखकर उसने युद्ध न करने की कसम खाई।

सिंध की लड़ाई – समय : 712 ई. 

किसके बीच – मोहम्मद कासिम ने अरबों की सत्ता स्थापित की।

तराईन का प्रथम युद्ध (Battles of Tarain) – समय : 1191 ई. 

किसके बीच – मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच हुआ, जिसमे चौहान की विजय हुई।

तराईन का द्वितीय युद्ध (2nd Battles of Tarain) – समय : 1192 ई.

किसके बीच – मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच हुआ, जिसमे मोहम्मद गौरी की विजय हुई।

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ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ, आरण्यक साहित्य व उपनिषद

ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ, आरण्यक साहित्य व उपनिषद

Brahman, Aaranyak Sahitya Upanishads History: इसके पहले भाग में हमने सामवेद, यजुर्वेद और अथर्वेद के बारे में पढ़ा और आज हम इस अध्याय में ब्राह्मण , आरण्यक साहित्य या ग्रन्थ और उपनिषद के बारे में पढेंगे ।

ब्राह्मण ग्रन्थ – Brahman Granth

ये वेदों के गद्य भाग है, जिसके द्वारा वेदों को समझने में सहयता मिलती है। यज्ञ और कर्मकांड के विधान एवं उसकी क्रियाओं को भलीभांति समझने के लिए ब्राह्मण ग्रन्थ की रचना की गई है। ब्राह्मण ग्रंथों में “राजा परीक्षित” के बाद एवं “बिम्बसार” के पहले की घटना का वर्णन मिलता है ।
प्रत्येक वेद के अलग अलग ब्राह्मण है ।
  1. ऋग्वेद – ऐतरेय एवं कौषीतकी ब्राह्मण
  2. सामवेद – पंचविश (तांड्य ), षडविश एवं जैमिनी
  3. यजुर्वेद – शतपथ, तैतरीय
  4. अथर्वेद – गोपंथ
  • ऐतरेय ब्राह्मण में ” राज्याभिषेक” के नियम दिए गए है ।
  • ऐतरेय ब्राह्मण में ही “राज की उत्पत्ति” का सिधांत भी दिया गया है ।
  • शतपथ ब्राह्मण सबसे “प्राचीन” व “वृहद् ब्राह्मण” है, इन्हें लघु वेद भी कहा जाता है ।
  • पुनर्जन्म का उल्लेख , कृषि सम्बन्धी क्रियाओं का उल्लेख भी शतपथ ब्राह्मण में मिलता है ।
  • शतपथ ब्राह्मण में ही स्त्री को “अर्धांगिनी” कहा गया है ।

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सिन्धु सभ्यता की राजनितिक, सामजिक एवं धार्मीक जीवन

सिन्धु सभ्यता की राजनितिक, सामजिक एवं धार्मीक जीवन
 
Indus Civilization Life Political, Social, Religious –  सिन्धु घाटी सभ्यता में हमने इसके पहले इसके नगरीय नियोजन, भवन निर्माण, जल निकासी व्यवस्था, धान्य भंडारण, सार्वजनिक स्नानागार  एवं बन्दरगाह नगर के बारे में  जाना। यह इतिहास को जानने का पुरातात्विक स्रोत का हिस्सा है ।
इस अध्याय में हम सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus ValleyCivilization) का जीवन – राजनितिक जीवन (Political Life), सामजिक जीवन (Social Life), और धार्मिक जीवन (Religious Life)  के बारे में पढेंगे ।

सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) – राजनितिक जीवन ( Political Life )

 
हड़प्पा या सिंधुघाटी सभ्यता का राजनितिक जीवन कैसा था ये एक विवाद का विषय है, अलग अलग विद्वानों ने वहां के राजनितिक के बारे में अलग अलग मत प्रस्तुत किया है ।
  1. हंटर के अनुसार – ” मोहनजोदड़ो की शासन प्रणाली राजतंत्रात्मक ना होकर गणतंत्रात्मक थी ।”
  2. मैके के अनुसार – “मोहनजोदड़ो का शासन एक प्रतिनिधि समूह का शासन था ।”
  3. स्टुअर्ट के अनुसार – ” सिन्धु सभ्यता में पुरोहित वर्ग का शासन था ।”
  4. व्हीलर के अनुसार – ” सिन्धु प्रदेशों के लोगों का शासन मध्यम वर्गीय जनतंत्रात्मक था , जिस पर धर्म का प्रभाव अधिक था ।”
इस प्रकार हड़प्पा कालीन राजनितिक व्यवस्था के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती चूँकि हड़प्पा वासी व्यापार के प्रति अधिक आकर्षित थे ।

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