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निरपेक्ष गरीबी के वैश्विक आंकड़े

निरपेक्ष गरीबी के वैश्विक आंकड़े

वर्ल्ड बैंक ने 2013 की रिपोर्ट में आंकड़े जारी किये है –शीर्षक — “गरीब कहाँ है, सर्वाधिक गरीब कहाँ है, दुनियां में 7 अरब 65 करोड़ लोग रहते है”वर्ल्ड बैंक के अनुसार दुनियां में 120 करोड़ लोग बेहद गरीब की श्रेणी में है।

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भारत में गरीबी और बेरोजगारी 

भारत में गरीबी और बेरोजगारी

जब कोई व्यक्ति अपनी आधारभूत आवश्यकता  रोटी, कपडा तथा माकन को पूरा न कर पाए वह गरीबी रेखा के अंतर्गत आता है । लेकिन ऐसी गरीबी निरपेक्ष गरीबी है, क्यूंकि ये देश काल परिस्थिति के अनुसार नहीं बदलती। निरपेक्ष गरीबी  का अर्थ हर जगह गरीबी ।

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राष्ट्रीय आय और आर्थिक संवृद्धि में सम्बन्ध

राष्ट्रीय आय और आर्थिक संवृद्धि में सम्बन्ध

राष्ट्रीय आय और आर्थिक संवृद्धि का सम्बन्ध उत्पादन से है। जब उत्पादन बढेगा तो राष्ट्रिय आय ( National Income) बढेगा, और जब ये बढेगा तो विकास दर ( Growth Rate ) भी बढेगा।

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भारत में राष्ट्रिय आय की गणना एवं उनका इतिहास

भारत में राष्ट्रिय आय की गणना एवं उनका इतिहास

भारत में राष्ट्रिय आय – सर्वप्रथम राष्ट्रिय आय की गणना दादा भाई नैरोजी ने सं 1868 में कराई,  भारत की प्रतिव्यक्ति आय रूपये 20 प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष बताई । 

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क्षेत्रक के आधार पर अर्थव्यवस्था

क्षेत्रक के आधार पर अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक आर्थिक गतिविधियों से निर्धारित करते है – इसके तीन प्रकार है – 1. प्राथमिक अर्थव्यवस्था 2. द्वितीयक अर्थव्यवस्था 3. तृतीयक अर्थव्यवस्था ।

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