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आर्यों का आगमन - वैदिक संस्कृति

आर्यों का आगमन – वैदिक संस्कृति

सिन्धु सभ्यता के पतन के बाद जो नविन संस्कृति प्रकाश में आई उसके बारे में जानकारी वेदों से प्राप्त होती है । अतः इस काल को वैदिक काल कहा गया । वैदिक काल के निर्माता आर्य थे, आर्य शब्द का अर्थ है श्रेष्ठ, यह एक भाषाई विचार है ना कि जातिसूचक ।

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सिंधुघाटी सभ्यता का पतन

सिंधुघाटी सभ्यता का पतन

सिन्धु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का पतन कैसे हुआ यह एक विवाद का विषय है,  भिन्न भिन्न विद्वानों ने इसके पतन के भिन्न भिन्न कारण बताये जो निम्न प्रकार से

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सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन, शिल्प, मोहरें तथा लिपि

सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन, शिल्प, मोहरें तथा लिपि

सिन्धु सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी, इस सभ्यता के लोग आर्थिक दृष्टि से समृद्ध थे । इसका मुख्य कारण सिंचित कृषि, विकसित व्यापार एवं उद्योग था । 

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ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ, आरण्यक साहित्य व उपनिषद

ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ, आरण्यक साहित्य व उपनिषद

ब्राह्मण ग्रन्थ वेदों के गद्य भाग है, जिसके द्वारा वेदों को समझने में सहयता मिलती है। यज्ञ और कर्मकांड के विधान एवं उसकी क्रियाओं को भलीभांति समझने के लिए ब्राह्मण ग्रन्थ की रचना की गई है। ब्राह्मण ग्रंथों में “राजा परीक्षित” के बाद एवं “बिम्बसार” के पहले की घटना का वर्णन मिलता है ।

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सिन्धु सभ्यता की राजनितिक, सामजिक एवं धार्मीक जीवन

सिन्धु सभ्यता की राजनितिक, सामजिक एवं धार्मीक जीवन

  सिन्धु घाटी सभ्यता में हमने इसके पहले इसके नगरीय नियोजन, भवन निर्माण, जल निकासी व्यवस्था, धान्य भंडारण, सार्वजनिक स्नानागार  एवं बन्दरगाह नगर के बारे में  जाना। यह इतिहास को जानने का पुरातात्विक स्रोत का हिस्सा है ।

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