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ब्रह्म समाज की स्थापना - राजा राम मोहन राय

ब्रह्म समाज की स्थापना – राजा राम मोहन राय

पर्दाप्रथा, बहुविवाह, सती प्रथा, वैश्यावृत्ति, जातिवाद, बालविवाह आदि का विरोध किया ।

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1857 की क्रांति का परिणाम, स्वरूप और महत्व

1857 की क्रांति का परिणाम, स्वरूप और महत्व

1 नवम्बर 1858 को इलाहाबाद में महारानी का घोषणा पढ़ा गया, जिसमें भारत सरकार की नवींन निति का उल्लेख किया गया था, जिसके अंतर्गत या तहत निम्न परिवर्तन किये गए

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ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ, आरण्यक साहित्य व उपनिषद

ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ, आरण्यक साहित्य व उपनिषद

ब्राह्मण ग्रन्थ वेदों के गद्य भाग है, जिसके द्वारा वेदों को समझने में सहयता मिलती है। यज्ञ और कर्मकांड के विधान एवं उसकी क्रियाओं को भलीभांति समझने के लिए ब्राह्मण ग्रन्थ की रचना की गई है। ब्राह्मण ग्रंथों में “राजा परीक्षित” के बाद एवं “बिम्बसार” के पहले की घटना का वर्णन मिलता है ।

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सिन्धु सभ्यता की राजनितिक, सामजिक एवं धार्मीक जीवन

सिन्धु सभ्यता की राजनितिक, सामजिक एवं धार्मीक जीवन

  सिन्धु घाटी सभ्यता में हमने इसके पहले इसके नगरीय नियोजन, भवन निर्माण, जल निकासी व्यवस्था, धान्य भंडारण, सार्वजनिक स्नानागार  एवं बन्दरगाह नगर के बारे में  जाना। यह इतिहास को जानने का पुरातात्विक स्रोत का हिस्सा है ।

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सिंधु घाटी सभ्यता - नगर योजना, निर्माण, जल निकासी प्रणाली

सिंधु घाटी सभ्यता – नगर योजना, निर्माण, जल निकासी प्रणाली

हड़प्पा कालीन या सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषता उसकी नगर नियोजन प्रणाली थी । नगर दो भागों में विभाजित था – पूर्वी तथा पश्चिम ।

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