1857 की क्रांति का दमन और असफलता – 1857 की क्रांति के दमन और असफलता के कई कारण हैं, जिनका हम विस्तार से अध्ययन करेंगे । पिछले भाग में हमने 1857 की क्रांति का कारण, आन्दोलन, प्रमुख व्यक्ति एवं अन्य जानकारी प्राप्त की ।
आज हम इस क्रांति के दमन एवं असफलता का क्या कारण था इसके बारे में जानेंगे ।
विद्रोह का दमन – Suppression of Rebellion
- विद्रोह का केंद्र मुख्यतः उत्तर भारत था , पंजाब, राजपुताना दक्षिण व बंबई प्रेसिडेंसी अप्रभावित था ।
- सितम्बर 1857 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर पुनः कब्ज़ा कर लिया ।
- 1858 ई. तक विद्रोहों को कुचल दिया गया था ।
- बहादुर शाह द्वितीय को कैदी बनाकर रंगून भेज दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी थी ।
- सितम्बर 1857 ई. में अंग्रेजो ने लखनऊ पर कब्ज़ा कर लिया था किन्तु बेगम हजरत महल ने आत्मसमर्पण से इंकार कर दिया था ।
- रानी लक्ष्मी बाई झाँसी से निकलकर तात्या टोपे के सहयोग से ग्वालियर पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया ।
- किन्तु अंततः जून 1858 को ह्यूरोज से लडती हुई उनकी मृत्यु हो गई ।
- नाना साहब नेपाल चले गए और कुंवर सिंह की घायल अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई ।
- तात्या टोपे को उनके मित्र मानसिंह ने पकडवा दिया बाद में उन्हें फांसी दे दी गई ।
- विद्रोहों को कुचलने में बर्नाड निकोल्सन, हडसन, कैम्पवेल एवं नील आदि को भारतीय राजा, निजाम तथा सामंतों ने सहयोग किया ।
- ग्वालियर के सिंधिया , इंदोर के होल्कर, हैदराबाद के निजाम, भोपाल के नवाब, राजपूत शासक एवं पटियाल पंजाब व नेपाल के शासकों ने विद्रोहों को कुचलने में अंग्रेजों की सहायता की ।
- कैनिंग का कथन था की ” इन शासकों व सरदारों ने तूफान के आगे बाँध का काम किया वर्ना ये तूफ़ान एक ही लहर में हमें बहा ले जाता “।