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राष्ट्रीय आय की गणना विधि  GDP, NDP, GNP

राष्ट्रीय आय की गणना विधि – GDP, NDP

राष्ट्रीय आय की गणना विधि  – GDP, NDP, GNP – किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन का संग्रह या किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन शक्ति राष्ट्रिय आय कहलाती है । 

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भारतीय बाजार के प्रकार और कार्य

भारतीय बाजार के प्रकार और कार्य

बाजार वह काल्पनिक क्षेत्र है जहाँ आर्थिक गतिविधियों का निष्पादन होता है, तथा जिस वजह से बाजार बना है उसका मूल गतिविधि “विनिमय” Exchange ( क्रय-विक्रय) है । इसमें एक बेचने के लिए उत्पादन व उत्पादन के लिए निवेश करेगा ।

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भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास  – यह एक संकुचित विचार है जो वस्तु या सेवा के उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि से जुढ़ा है, इसी को हम GDP की वृद्धि कहते है ।

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भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रकार

भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रकार

प्रति व्यक्ति की आय के आधार पर अर्थव्यवस्था को वर्ल्ड बैंक ( World Bank ) ने विभाजित किया है । निम्न आय अर्थव्यवस्था ( 1045 डॉलर प्रति वर्ष ) – वर्ल्ड बैंक ने जुलाई 2015 में  कहा यदि 1045 डॉलर प्रति वर्ष कमाता है तो वह निम्न आय अर्थव्यव्स्स्था है । मध्य  आय अर्थव्यवस्था ( 1046-12735 डॉलर प्रति वर्ष ) – 
1. निम्न मध्यम आय वर्ग – 1046-4125
2. उच्च मध्यम आय वर्ग – 4126-12735
उच्च आय अर्थव्यवस्था ( 12736 से डॉलर से ज्यादा प्रति वर्ष ) – वर्ल्ड बैंक ने  कहा यदि 12736 डॉलर प्रति वर्ष से ज्यादा  कमाता है तो वह उच्च आय अर्थव्यव्स्स्था है ।

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अल्प-विकसित , विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्था

अल्प-विकसित , विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्था

अल्प-विकसित , विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्था का निर्धारण 2 आधार से किया जाता है :  1. राष्ट्रीय आय के आधार पर एवं 2. सुविधाओं के आधार पर – 
सडक बिजली, संचार, शिक्षा स्वास्थ्य ये सब सुविधाएँ  पर्याप्त है तो इसे विकसित देश कहते है, अर्थात ये सुविधाएँ उपलब्ध है तो विकसित , बन रही है तो विकासशील और यह उपलब्ध नहीं है तो अल्प विकसित है ।

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पूंजीवादी , समाजवादी एवं मिश्रित अर्थव्यवस्था

पूंजीवादी , समाजवादी एवं मिश्रित अर्थव्यवस्था

इस अर्थव्यवस्था को “एडम स्मिथ” ने दिया और इस विचार धरा को आगे बढाया “से SAY” के बाजार ने । ये नियम कहता था यदि कोई सामन बना है तो बिकेगा ही अर्थात हर उत्पादन अपने लिए मांग का सृजन स्वयं कर लेता है । अतः अर्थव्यवस्था में उत्पादन बढाने में ध्यान दिया जाना चाहिए । 

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