गंगा का विशाल मैदान

गंगा का विशाल मैदान

द्वीप समूह

कुल द्वीप समूह – 247
बंगाल की खाड़ी में – 204
अरब सागर में – 43

बंगाल की खाड़ी

नारकोंडम ज्वालमुखी – सुसुप्त ज्वालामुखी ( नासु – कोड )
बैरन द्वीप – सक्रीय ज्वालामुखी ( कोड – बैस )

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हिमालय का उत्तरी पर्वतीय प्रदेश

हिमालय का उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
भारत का प्राकृतिक विभाजन में हमने पढ़ा था की इसके 4 भाग है जिसमें से हमने पहले भाग “दक्षिण का  प्रायद्वीपीय पठार “  को पिछले पोस्ट में देखा और जाना, अब हम जानेंगें दूसरा भाग “हिमालय का उत्तरी पर्वतीय प्रदेश “

हिमालय का उत्तरी पर्वतीय प्रदेश

हिमालय पर्वत पश्चिम से लेकर पूर्व तक 2400 किलोमीटर की लम्बाई 150 से 400 किलोमीटर तक की चौड़ाई और 6000 मीटर की औसत उंचाई में लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में चाप ( Arc ) की आकृति में फैला हुआ है 
 
  • यह एशिया की सबसे लम्बी पर्वत श्रेणी है 
  • यह विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है 
  • यह मूलतः वलित पर्वत ( Valley Mount ) है 
  • इसकी आकृति तलवार या धनुष के समान है 
 
इसकी उत्पत्ति सिनोजोइक ईरा के टर्सरी काल में भू- सन्निती टेथिस नामक सागर से हुआ है 
 
 

भारत का प्राकृतिक विभाजन – दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार

भारत का प्राकृतिक विभाजन - दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार

भारत को प्राकृतिक विभाजन – मुख्यतः 4 भागों में विभाजित किया गया है —

1. दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार
2. हिमालय का उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
3. गंगा का मैदान
4. भारत के तटीय प्रदेश व द्वीप समूह
युगल जोड़े की पसंदीदा जगह – मनगट्टा वन्य जिव पार्क – राजनांदगांव

दक्षिण का  प्रायद्वीपीय पठार

  • गुजरात से लेकर केरल तक 1700 की.मी. और गुजरात से लेकर प.बंगाल तक 1400 की.मी. एक त्रिभुजाकार आकृति में लगभग 16 लाख वर्ग की.मी. खेत्र्फ्ल में फैला हुआ है ।
  • इसके उत्तर में गंगा का मैदान, दक्षिण में निलगिरी पर्वत श्रेणी, पूर्व में पूर्वी तट तथा पश्चिम में पश्चिमी तट स्थित है ।
  • यह भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक प्रदेश है ।
  • यह सबसे प्राचीन भूखंड है ।
  • इसके अधिकाँश भाग में काली मिटटी पाई जाति है ।
  • यह एक “गोंडवाना लैंड” का भाग है ।
  • इसकी जलवायु उष्णकटिबंधीय होती है ।
  • यहाँ औसतन वर्षा 100 से,मी. होती है ।
  • इसकी औसतन ऊंचाई 600 मीटर है ।
  • लगभग सभी पठार इसी प्रदेश या भाग में पाए जाते है ।
क्यों कहलाता है मिनी गोवा   – गंगरेल डैम – मिनी गोवा

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छतीसगढ़ के जिलों का विवरण

छतीसगढ़ के जिलों का विवरण
छतीसगढ़ राज्य में अब तक कुल 29 जिले है, सबसे ज्यादा और सबसे कम किस जिले में है और एक दुसरे से किस जिले को कितने जिले स्पर्श करते है इसका विवरण निम्न प्रकार से है ।
 

सर्वाधिक / न्यूनतम किस जिलें में

सर्वाधिक नगर निगम वाला जिला – दुर्ग ( 3 )
सर्वाधिक नगर पालिका वाला जिला – जांजगीर चाम्पा (4)
सर्वाधिक नगर पंचायत वाला जिला – जांजगीर चाम्पा (11)
सर्वाधिक विकासखंड वाला जिला – जांजगीर चाम्पा (9), राजनांदगांव (9) तथा रायगढ़ (9)
न्यूनतम विकासखंड वाला जिला – नारायणपुर (2)
सर्वाधिक ग्राम पंचायत वाला जिला – राजनांदगांव
न्यनतम ग्राम पंचायत वाला जिला – नारायणपुर

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छ.ग. शोध अनुसन्धान केंद्र व प्रसिद्ध व्यक्तित्व

छ.ग. शोध अनुसन्धान केंद्र व प्रसिद्ध व्यक्तित्व

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध व्यक्तित्व

  • छ. ग. का टाइगर बॉय – चेंदरू मंडावी ( नारायणपुर ) 2013 में निधन
  • छ. ग. का गांधी – सुन्दरलाल वर्मा
  • छ. ग. का पाणिनि – हीरालाल काव्योपाध्याय
  • छ. ग. का वाल्मीकि – गोपाल मिश्र
  • छ. ग. का मंगल पांडे – हनुमान सिंह
  • छ. ग. का तात्या टोपे – गुण्डाधुर
  • छ. ग. पत्रकारिता के जनक – माधवराव सप्रे
  • किसान आन्दोलन के जनक – डॉ. खूबचंद बघेल
  • सहकारिता के जनक – वामनराव लाखे
  • सहकारिता आन्दोलन के जनक – ठाकुर प्यारेलाल सिंह
  • मध्य प्रान्त के विधान पुरुष – घनश्याम सिंह गुप्त
  • मध्यप्रदेश के विधान पुरुष – मथुरा प्रसाद दुबे
  • छ.ग. में ईसाईं धर्म के प्रचारक –  फादर टी. लोर
  • कबीरपंथ के संस्थापक – धर्मदास
  • सतनामी पंथ के संस्थापक – गुरु घासीदास
  • नाचा के जंक या पितामह – दाऊ दुलार सिंह मंदार जी / साहू
  • लोक कला के उद्धारक – दाऊ रामचंद्र देशमुख
  • लोक कला के पुजारी – महासिंह चंद्राकर
क्यों जाते है लोग बार बार  – अरकू घाटी (वैली )

छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक परिदृश्य

  • छत्तीसगढ़ का प्रथम लोकपर्व – हरेली ( सावन मॉस के कृष्ण पक्ष में )
  • छत्तीसगढ़ के लोकगीतों का राजा – ददरिया
  • छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक परंपरा का प्रतिक – रहस
  • छत्तीसगढ़ लोकनाट्य का प्रथम रूप – गम्मत
  • छत्तीसगढ़ लोकनाट्य की लोकप्रिय विद्या – नाचा
  • छत्तीसगढ़ का भूकंपीय क्षेत्र – दलदली मैनपाट
  • प्रदेश का प्रथम क्लोनिंग वन भैंसा – आशा-दीप
छत्तीसगढ़ का टापू   – मदकू द्वीप बिलासपुर
 

छत्तीसगढ़ विशिष्ट भौगोलिक स्थल एवं प्रमुख नगरी

छत्तीसगढ़ विशिष्ट भौगोलिक स्थल एवं प्रमुख नगरी
 
छत्तीसगढ़ यूँ तो बहुत से प्राक्रतिक संपदाओं तथा खनिजों से परिपूर्ण है, इसके साथ साथ छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सौन्दर्य का भी धनी है । इसी प्रकार की कुछ भौगोलिक स्थल है जिनका विवरण निम्नानुसार है ।
छ.ग. की कायापलट करने वाले – छिन्द्क नागवंशी 

छत्तीसगढ़ विशिष्ट भौगोलिक स्थल

छत्तीसगढ़ में फूलों की घाटी – लोरोघाट ( जशपुर )
छत्तीसगढ़ का स्वीटज़रलैंड – सन्ना हिल ( जशपुर )
छत्तीसगढ़ का तिब्बत या शिमला – मैनपाट ( अंबिकापुर )
छ. ग. का प्रयाग – राजिम ( 5 वें कुम्भ का दर्जा प्राप्त )
छ. ग. का कश्मीर – चैतुरगढ़ ( कोरबा )
छ. ग. का खजुराहो – भोरमदेव (कवर्धा )
छ. ग. का चित्तौड – लाफागढ़ ( कोरबा )
छ. ग. का चेरापूंजी – आबुझमाड़ ( नारायणपुर )
छ. ग. का स्वर्ग – दण्डकारन्य
छ. ग. का काशी – खरौद ( जांजगीर चाम्पा )
छ. ग. का पेरिस – राजनांदगांव
छ. ग. का नियाग्रा फाल्स – चित्रकोट ( जगदलपुर ) (भारत का भी नियाग्रा )
बस्तर का प्रवेश द्वार – तेलिन घाटी / केशकाल घाटी
आबुझमाड़ का प्रवेश द्वार – ओरछा ( नारायणपुर )
पिकनिक के लिए सर्वोत्तम – छत्तीसगढ़ का मॉरिशस – बुका डैम

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